मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा प्रस्तुत बजट में राजसमंद जिले के लिए पेयजल मुहैया कराने के लिए देवास तृतीय एवं चतुर्थ चरण की शीघ्र क्रियान्विति को लेकर जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने शनिवार को गोगुन्दा क्षेत्र के नला गांव के पास परियोजना कार्यस्थल पर पहुंच कर योजना की डीपीआर पर विस्तार से मंथन करते हुए आवश्यक संशोधन के सुझावों के साथ ही कार्यकारी एजेन्सी को शीघ्र कार्य शुरू करने के निर्देश दिए।
श्रीमती माहेश्वरी ने परियोजना के तहत बनने वाले दो बांध, टनल एवं अन्य कार्यों की विस्तृत समीक्षा करते हुए कहा कि इस कार्य में जहां निजी खातेदारी अथवा वन भूमि अवाप्ति से संबंधित प्रकरण हो उन्हें प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने वन भूमि के मामले में अनापत्ति के लिए अधिकारियों को शीघ्र भूमि का चिह्नीकरण कर निस्तारण के लिए उचित कार्यवाही करने को कहा ताकि आगे कार्य में कोई विलंब नहीं आने पाये।
उन्होंने कहा कि परियोजनांतर्गत बांध बनाने संबंधी कार्य के लिए शीघ्रता बरती जाएगी ताकि जल्द से जल्द व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी का उपयोग आमजन के लिए सुनिश्चित हो। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि बांधों, टनल एवं भूमि अधिग्रहण संबंधी कार्यों की वास्तविक जानकारी दस दिन में मुहैया करवाई जाए। उन्होंने परियोजना के कार्यों को समयबद्ध ढंग से पूरा करने के लिए स्टेजवाइज शिड्यूलिंग करने की जरूरत बताई।
उन्हांेने सिंचाई विभाग एवं जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे उपलब्ध जल से अधिकाधिक जनता को पेयजल से लाभान्वित करने की योजनाओं के लिए समन्वित प्रयास करें।
इस मौके पर गोगुन्दा विधायक प्रताप गमेती एवं क्षेत्रीय प्रधान पुष्कर तेली ने भी गोगुन्दा क्षेत्र की जनता के लिए पेयजल योजनाओं की क्रियान्विति के लिए मंत्री श्रीमती माहेश्वरी से आग्रह किया।
इस मौके पर पूर्व मंत्री चुन्नीलाल गरासिया, प्रमुख समाजसेवी गुणवंत सिंह झाला, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के शासन सचिव सुबीर कुमार, मुख्य अभियंता (परियोजना) आर.के.मीणा, जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजेश टेपण, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता डी.के.गौड़ सहित संबंधित अधिकारीगण मौजूद रहे।
परियोजना के लिए प्रथमतः 1064 करोड़ की स्वीकृति
श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि राजसमंद जिले की महती पेयजल परियोजना के लिए प्रथमतः सरकार ने एक हजार चौसठ करोड़ की स्वीकृति दे दी है। वेपकॉस कंपनी द्वारा तैयार डीपीआर में आवश्यक संशोधन करा शीघ्र कार्य शुरू करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए हर 15 दिन में बैठक कर परियोजना की समीक्षा की जाएगी।
प्रथम चरण में बांधों का निर्माणपरियोजना के प्रथम चरण में दो बांध बनाये जाने प्रस्तावित हैं। इसके साथ ही इन दोनों बांधों को जोड़ना तथा पाइपलाइन बिछाने के काम को भी शामिल किया गया है।
निकटवर्ती गांवों-कस्बों को भी मिलेगा लाभ,श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि देवास परियोजना के तहत उदयपुर, राजसमंद जिले ही नहीं वरन् परियोजनाओं से लगते गांवों एवं कस्बों का भी अध्ययन कर उन्हें भी पेयजल योजना से लाभान्वित किया जायेगा।
जयसमंद से 93 गांवों को जोड़ने की बनेगी योजना
मंत्री माहेश्वरी ने बताया कि उदयपुर में जयसमंद से 93 गांवों को पेयजल योजना से जोड़ने के लिए 111 लाख रुपये की डीपीआर बनाई जा रही है। इसी प्रकार उदयपुर संभाग में सतही जल का लाभ आमजन को पहुंचाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
राज्य में 67 परियोजनाएं प्रगति पर
श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि राजस्थान में 28 हजार करोड़ की लागत की कुल 67 पेयजल योजनाएं प्रगति पर है। जिन्हें वर्ष 2017-18 तक पूरा करने के लक्ष्य के साथ तीव्र गति से क्रियान्वित किया जा रहा है।
संभाग में पेयजल योजनाओं के लिए बनी डीपीआर
मंत्री माहेश्वरी ने बताया कि उदयपुर संभाग में जाखम बांध से प्रतापगढ़ जिले में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 76 करोड़ के कार्यादेश जारी कर दिये गये हैं। इसी प्रकार बड़ी मात्रा में गुजरात बहकर जाने वाले जल के सदुपयोग करते हुए सीमलवाड़ा, गलियाकोट, जूथरी व बिछीवाड़ा को लाभान्वित करने की कार्ययोजना प्रस्तावित है। इसी प्रकार बेणेश्वर परियोजना से साबला व सागवाड़ा, सोम कमला आंबा से आसपुर, डुंुगरपुर व ढोबरा आदि क्षेत्रों तथा कुशलगढ़, बागीदौरा व सज्जनगढ़ के लिए भी पेयजल हेतु डीपीआर बनाने के निर्देश दिए गए।